सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 84 | कंपटीशन परीक्षा में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | NEET में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | 11th स्टैंडर्ड के प्रश्न उत्तर | रसायन विज्ञान के संबंधित संपूर्ण प्रश्न उत्तर
सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 84
Ans. DNA अणु दो स्ट्रेण्ड या लड़ो का बना होता है।
Ans. DNA में एडिमिन हमेशा थाइमिन से जुड़ा होता है।
Ans. DNA में साइटोसिन हमेशा ग्वानिन से जुड़ा होता है।
Ans. एडमिन तथा थायमिन के मध्य दो हाइड्रोजन बंध होते हैं।
Ans. ग्वानिन तथा साइटोसिस के मध्य तीन हाइड्रोजन बंध होते हैं।
Ans. RNA मुख्यतः एकसूत्री अणुओं के रूप में पाए जाते हैं।
Ans. RNA सैकड़ों-हजारों न्यूक्लियोटाइड का बना होता है।
Ans. RNA अणु तीन प्रकार के होते हैं।
Ans. न्यूक्लिक अम्ल के जैविक कार्य डी.एन.ए. की प्रतिकृतित्व या द्विगुणन तथा प्रोटीन का संश्लेषण करना है।
Ans. न्यूक्लिक अम्लों का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य प्रोटीन का संश्लेषण करना है।
Ans. सभी जब संश्लेषणी क्रियाविधियों में प्रोटीन का संश्लेषण सबसे जटिल होता है।
Ans. संजीवों की कोशिकाओं में 200 से अधिक एंजाइम तथा 70 से अधिक RNA, प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं।
Ans. प्रोटीन के संश्लेषण में मुख्य रूप से 2 पद सम्मिलित होते हैं।
Ans. न्यूक्लिक अम्लों की सूचना अनुसार mRNA द्वारा प्रोटीन का निर्माण अनुवादन कहलाता है।
Ans. प्रोटीन का संश्लेषण कोशिका के कोशिका द्रव्य में होता है।
Ans. r-RNA राइबोसोम के घटक है।
Ans. RNA अणुओं के स्तंभ में क्षारों को, तीन समूहों के क्रम में पढ़ा जाता तथा इस प्रत्येक त्रियक कों कोडोन कहते हैं।
Ans. न्यूक्लियोटाइड ट्रिप्लेट तथा ऐमीनो अम्ल के बीच संबंध को अनुवांशिक कूट कहते हैं।
Ans. m RNA के तीन क्षारों के समूह द्वारा व्यक्त करते हैं।
Ans. डी.एन.ए. में न्यूक्लियोटाइडों के क्रम को जीन के होते हैं।
Ans. वृद्धि हार्मोन अग्र पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. एंड्रीनो कार्टिकोट्रापिक हार्मोन अग्र पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. थाइरोट्रॉपिक हार्मोन अग्र पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. ऑक्सीटोसिन हार्मोन पश्य पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. प्रतिमूत्रल हार्मोन पश्य पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. थाइराॅक्सिन हार्मोन पश्य पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. पैराथार्मोन पश्य पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. एल्डोस्टोरोन हार्मोन एड्रिनल कार्टेक्स द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. कार्टिकोस्टोराॅन हार्मोन एड्रिनल कार्टेक्स द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. एड्रीनेलिन हार्मोन एड्रेनल मेड्यूला द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. इंसुलिन अग्नाशय द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. टेस्टोस्टेराॅन वृषण द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. एस्ट्रोजन अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. प्रोजेस्ट्राॅन अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans . जरायु-जनन ग्रंथि प्रेरक हार्मोन अपरा द्वारा स्रावित होते हैं।
Ans. थाइमिन थाइमस ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है।
Ans. मनुष्य में थायराइड ग्रंथि की संख्या एक होती है।
Ans. वृद्धि हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य अस्थियों, कार्टिलेज, पेशियों, अंतरागों तथा संपूर्ण रूप से शरीर की वृद्धि को उद्दीपित करता है।
Ans. एंड्रीनो कार्टिकोट्रापिक हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य भावात्मक तथा शारीरिक प्रतिबल में महत्वपूर्ण है।
Ans. थाइरोट्रॉपिक हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य थायराइड ग्रंथि की वृद्धि तथा सक्रियता पर नियंत्रण करना है।
Ans. ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य प्रसव के समय गर्भाशय को संकुचित करना है।
Ans. प्रतिमूत्रल हार्मोन का प्रमुख कार्य प्राणी के मूत्र निकास को कम करके जल संतुलन को प्रभावित करना है।
Ans. थाइराॅक्सिन हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य उपापचय क्रियाओं को नियंत्रित करना है।
Ans.पैराथार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य कैल्शियम अंतर्ग्रहण, उत्सर्जन तथा प्लाज्मा में कैल्शियम के सांद्रण का अनुरक्षण करना है।
Ans. एल्डोस्टोरोन हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य वृक्क नलिकाओं द्वारा सोडियम तथा क्लोराइड आयनों के पुनः अवशोषण को प्रोन्नत करता है।
Ans. कार्टिकोस्टोराॅन हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय को प्रभावित करना है।
Ans. एड्रीनेलिन हार्मोन का प्रमुख जैविक कार्य रक्तचाप तथा हृदय गति को नियंत्रित करना है।
Ans. इंसुलिन का प्रमुख जैविक कार्य रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को नियंत्रित करना तथा ग्लूकोस के उपापचय को नियंत्रित करना है।
Ans. टेस्टोस्टेराॅन का प्रमुख जैविक कार्य पुरुषों में जननांग की क्रियाशीलता तथा पुरुष द्वितीयक लक्षण को नियंत्रित करना है।
Ans. एस्ट्रोजन का प्रमुख जैविक कार्य स्त्री द्वितीयक लक्षणों तथा अंडाशय की क्रियाशीलता को नियंत्रित करना है।
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