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सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर gk 16
Ans. जो किसी पदार्थ की परमाणु, अणु अथवा आयन की निश्चित संख्या को व्यक्त करता है उसे मोल कहते हैं।
Ans. किसी तत्व के 1 ग्राम परमाणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या 6.022 * 10’25 होती है या किसी पदार्थ के 1 ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं की संख्या भी इतनी ही अर्थात 6.022 * 10’25 होती है इस संख्या को एवोगाड्रो कहते हैं।
Ans. एवोगाड्रो संख्या को N द्वारा सूचित किया जाता है।
Ans. प्रकृति में पाए जाने वाले वे तत्व जो स्वतः विखंडित होकर कुछ अदृश्य किरणों का उत्सर्जन करते रहते हैं, रेडियो सक्रियता तत्व कहलाते हैं।
Ans. रेडियो सक्रियता तत्व से निकलने वाली अदृश्य किरणें रेडियो सक्रियता किरणें कहलाते हैं।
Ans. रेडियो सक्रियता की खोज 1896 ई. हुई।
Ans. रेडियो सक्रियता की खोज फ्रांस के वैज्ञानिक हेनरी बेकरेल ने की।
Ans. रेडियो सक्रियता दो प्रकार के होते हैं।
Ans.रेडियो सक्रियता तत्वों के परमाणु के नाभिक स्वता विखंडित होकर अन्य तत्वों के परमाणु में परिवर्तित होते रहते हैं यह क्रिया स्वाभाविक रूप से चलती है तथा इसमें रेडियो सक्रियता किरणों का उत्सर्जन होता है, इससे प्राकृतिक रेडियो सक्रियता कहते हैं।
Ans. वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कोई तत्व कृत्रिम तरीके से किसी ज्ञात तत्व के रेडियो सक्रियता समस्थानिक में परिवर्तन किया जाता है,कृत्रिम रेडियो सक्रियता कहलाते हैं।
Ans. रेडियो सक्रियता तत्वों के नाभिक से रेडियो सक्रियता तत्वों के स्वतः उत्सर्जन की प्रक्रिया को रेडियो सक्रियता विखंडन कहते हैं।
Ans. रेडियो सक्रियता परिवर्तन दों प्रकार के होते हैं।
Ans. α कण के निकलने से होने वाले परिवर्तन को α परिवर्तन कहते हैं।
Ans. β कण के निकलने से होने वाले परिवर्तन को β परिवर्तन कहते हैं।
Ans. वह समयांतराल जिसमें किसी रेडियो सक्रियता तत्वों में उपस्थित परमाणुओं की संख्या विखंडित होकर प्रारंभिक संख्या की आधी हो जाती है उस तत्व को अर्द्ध आयु काल कहते हैं।
Ans. रेडियो सक्रियता की इकाई ‘क्यूरी’ है।
Ans. किसी रेडियो सक्रियता पदार्थ का वह परिणाम जिसमें प्रति सेकंड 3.70*10’10 विखंडन होते हैं, क्यूरी कहलाते हैं।
Ans. किसी रेडियो सक्रिय समस्थानिक की मात्रा का किसी पत्थर के नमूने, काष्ठ या जैव अवशेष में मापन करके उनके आयु का निर्धारण करना ‘रेडियो आइसोटोप डेटिंग’ कहलाता है।
Ans. किसी रेडियो सक्रिय तत्व के नाभिक में होने वाले परिवर्तनों के दौरान नाभिक के द्रव्यमान में होने वाली क्षति का ऊर्जा में परिवर्तन के परिणाम स्वरुप प्राप्त ऊर्जा की विपुल राशि नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है।
Ans. नाभिकीय ऊर्जा के दो स्रोत है।
Ans. वह नाभिकीय अभिक्रिया जिसके फल स्वरुप एक भारी नाभिक विखंडित होकर दो हल्के नाभिको में परिवर्तित हो जाता है तथा ऊर्जा की एक विशाल राशि विमुक्त होती है, नाभिकीय विखंडन कहलाता है।
Ans. वह नाभिकीय अभिक्रिया जिसके फलस्वरूप दो हलके नाभिक परस्पर संयुक्त होकर एक भारी और स्थाई नाभिक का निर्माण करते हैं, नाभिकीय संलयन कहलाते हैं।
Ans. नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया अति उच्च ताप पर होती है इसलिए इसे ऊष्मा नाभिकीय अभिक्रिया कहतें हैं।
Ans. वह संयंत्र जिसमें नाभिकीय ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित कर विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है, परमाणु रिएक्टर कहलाता है।
Ans. परमाणु रिएक्टर के चार मुख्य भाग है-
कोर 2. मंदक 3.शीतलक 4.परिरीक्षण
Ans. जब ग्रेफाइट का उपयोग मंदक कें रूप में उपयोग होता है, तब रिएक्टर को परमाणु पाइल कहते हैं।
Ans. भारी जल का मंदक के रूप में उपयोग होने पर वह स्विमिंग पूल रिएक्टर कहलाता है।
Ans. विश्व का सबसे पहला नाभिकीय रिएक्टर इटली के वैज्ञानिक प्रोफेसर ‘एनरिको फर्मी’ के निर्देशन में शिकागो विश्वविद्यालय में बनाया गया था।
Ans. किसी अनु में उपस्थित अवयवी परमाणुओं को परस्पर बांधकर अनु को विशेष ज्यामितीय आकार में रखने वाले बल को रासायनिक बंधन कहते हैं।
Ans. 8 इलेक्ट्रॉन के समूह को अष्टक कहते हैं।
Ans. विद्युत आवेश युक्त परमाणु या परमाणुओं के समूह को आयन कहते हैं।
Ans. आयन दो प्रकार के होते हैं।
Ans. जिस आयन पर धन आवेश होता है, उसे धनायन कहते हैं।
Ans. जिस आयन पर ऋण आवेश होता है,ऋणायन कहलाता है।
Ans. धातु तत्वों के परमाणु में एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन में बदल जाने की प्रवृत्ति के कारण यें ‘विद्युत धनायन तत्व’ कहलाते हैं।
Ans. अधातु तत्वों के परमाणु में एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋण आयन मैं बदल जाने की प्रवृत्ति के कारण यें ‘विद्युत ऋणायन तत्व’ कहलाते हैं
Ans. तत्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन करने की क्षमता को संयोजकता कहते हैं।
Ans. रासायनिक बंधन के तीन प्रकार होते हैं।
Ans. जब एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण होने सें उन दोनों परमाणुओं के बीच बंधन बनता है, इससे आयनिक बंधन कहते हैं।
Ans. जिन रासायनिक यौगिकों के अणु में विद्युत संयोजन बंधन या आयनिक बंधन रहता है उसे आयनिक यौगिक कहते हैं।
Ans. जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फल स्वरुप जो रसायनिक बंधन बनता है उसे सहसंयोजक बंधन कहते हैं।
Ans. सहसंयोजक बंधन तीन प्रकार के होते हैं।
Ans. जब दो परमाणुओं के बीच एक जोड़ा इलेक्ट्रॉन का सांझा होता है तो एकल सहसंयोजक बंध कहते हैं।
Ans. जब दो परमाणुओं के बीच दो जोड़ा इलेक्ट्रॉन का साझा होता है तो द्विक सहसंयोजक बंधन बनता है।
Ans. जब दो परमाणुओं के बीच तीन जोड़ा इलेक्ट्रॉन का सांझा होता है तो त्रिक सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
Ans. किसी सहसंयोजक योगिक में एक परमाणु की सहसंयोजकता इलेक्ट्रॉनों की वह संख्या है, जिसे वह परमाणु साझेदारी में भाग लेने के लिए, प्रदान करता है सह संयोजकता कहलाता है।
Ans. कार्बन की सहसंयोजकता 4 होती है।
Ans. दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फल स्वरूप बने रासायनिक यौगिक को सहसंयोजक योगिक कहते हैं।
Ans. सहसंयोजक योगिक अणुओं के रूप में रहते हैं।
Ans. कार्बन डाइऑक्साइड की ज्यामितीय आकृति एकरेखीय होती हैं।
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