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सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर part 71
Ans. प्रोपेन के संभावित डाई क्लोरो व्युत्पन्नों की संख्या 4 हैं।
Ans. न्यूनतम क्वथनांक वाला यौगिक CH3Cl है।
Ans. अग्निशामक के रूप में प्रयुक्त होने वाला यौगिक CCl4 है।
Ans. DDT अजैवनिम्नीकरण प्रदूषक है।
Ans. CCl2F2 योगिक को प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
Ans. सोडियम एथाॅक्साइड डिहाइड्रोहैलोजेनीकरण के लिए विशिष्ट अभिकर्मक है।
Ans. ग्रिगनार्ड अभिकर्मक मैग्नीशियम धातु के साथ एथिल आयोडाइड की क्रिया से प्राप्त किया जाता है।
Ans. मैग्नीशियम तथा शुष्क एथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया से बना यौगिक का ग्रिगनार्ड अभिकर्मक कहलाता हैं।
Ans. वाइनिल क्लोराइड, डाई मेथिल कॉपर के साथ अभिक्रिया करके प्रोपीन उत्पन्न करता है।
Ans. कार्विल ऐमीन अभिक्रिया में आइसोसापेनर बनता है।
Ans. SN1 अभिक्रिया में कार्बधनायन मध्यवर्ती बनता है।
Ans. हेलोएल्केन में sp3 तथा हेलोएरिन में sp2 संकरण होता है।
Ans. मृदा सूक्ष्मजीवियों द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक क्लोरोम्फेनिकॉल आंत्रज्वर के इलाज में प्रयुक्त होता है।
Ans. आयोडीन युक्त हार्मोन थायराॅक्सिन की कमी से गलगंड नामक रोग हो जाता है तथा क्लोरोक्वीन, मलेरिया के उपचार में उपयोगी होता है।
Ans. कार्बन हैलोजन बंध की प्रबलता का क्रम C- F < C – Cl < C – Br < C- I है।
Ans. हैलोएरीन में आर्थो तथा पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह जैसे – NO2 उपस्थित होने पर इसकी नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन के लिए क्रियाशीलता बढ़ जाती है।
Ans. ऐल्किन समूह समान होने पर विभिन्न प्रकार के ऐल्किल हैलाइडों के क्वथनांको का क्रम – RI > R Br > RCl > RF क्योंकि अणुभार कम होता जा रहा है।
Ans. हैलोजन परमाणु पर स्थित एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के बेंजीन वलय की तरफ अनुनाद के कारण आने वाला इलेक्ट्रॉनस्नेही ऑर्थो तथा पैरा स्थिति पर आता है।
Ans. हैलोऐल्केन कार्बनिक विलायकों में विलय होते हैं, क्योंकि हैलोऐल्केन तथा विलायक अणुओं के मध्य अंतराआण्विक आकर्षण बलों की प्रबलता, अलग-अलग हैलोएल्केन तथा विलायक अणुओं के मध्य अंतराआण्विक बलों की प्रबलता लगभग समान होती है।
Ans. हैलोऐल्केनों के क्वथनांक लगभग समान द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा अधिक होते हैं क्योंकि हैलोऐल्केन ध्रुवीय होते हैं अतः उच्च ध्रुवता तथा हाइड्रोकार्बन की तुलना में इनके अणुभार अधिक होने के कारण हैलोजन यौगिकों में प्रबल अंतराआण्विक आकर्षण बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
Ans. तृतीयक ब्यूटील एल्कोहाॅल की जल में विलयता सर्वाधिक होती है।
Ans. अणुसूत्र C5H11 – OH द्वारा 4 प्राथमिक एल्कोहाॅल संभव है।
Ans. अणुसूत्र C4H10O से कुल 7 सरंचना समावयवी संभव है।
Ans. स्वचालित रेडियेटरों में प्रतिहिम के रूप में ग्लाइकॉल यौगिक प्रयुक्त हो सकता है।
Ans. एस्पिरिन का दूसरा नाम ऐसीटिल सैलिसिलिक अम्ल है।
Ans. 2- मैथिल प्रोपेन-2- ऑल यौगिक निर्जल ZnCl2 की उपस्थिति में सांद्र HCl के साथ अधिकतम वेग के साथ क्रिया करेगा।
Ans. -NO2 समूह फीनाॅल के अम्लीय गुण में वृद्धि करता है।
Ans. HCHO यौगिक फीनाॅल के साथ क्रिया करके ताप सुदृढ़ बहुलक बैकलाइट बनाता है।
Ans. ईथर का क्वथनांक समावयवी एल्कोहाॅल की तुलना में कम होता है।
Ans. आइसोप्रोपिल एल्कोहाॅल के ऑक्सीकरण पर ऐसीटोन बनता है।
Ans. C2H5OH को सांद्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर C2H4 प्राप्त होता है।
Ans. निम्न अणुभार वाला एल्कोहाॅल जल में विलेय है।
Ans. एल्कोहाॅलिक किण्वन यीस्ट के द्वारा कराया जा सकता है।
Ans. फीनाॅल को तप्त जिंक चूर्ण पर प्रवाहित करने पर बेंजीन बनता है।
Ans. डाइएथिल ईथर लुइस क्षार की तरह व्यवहार करता है।
Ans. ब्यूटेन-1 ऑल के निर्जलीकरण से प्राप्त मुख्य एल्कीन CH3- CH = CH-CH3 है।
Ans. निर्जल ZnCl2 तथा सांद्र HCl के मिश्रण को ल्यूकास अभिकर्मक कहते हैं।
Ans. डायस्टेस एंजाइम, स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित करता है।
Ans. फिनाॅल का विशेष नाम कार्बोलिक अम्ल हैं।
Ans. फिनाॅल को सर्वप्रथम कोलतार से प्राप्त किया गया था।
Ans. CH3-O-CH की सोडियम से क्रिया नहीं होती जबकि C2H5OH सोडियम के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस देता है जिसकी बुदबुदाहट होती है।
Ans. ईथर में ऑक्सीजन पर sp3 संकरण होता है।
Ans. एथिल एल्कोहाॅल का IUPAC नाम C2H5OH एथेनॉल होता है।
Ans. ग्रीन्यार अभिकर्मक की अभिक्रिया फाॅर्मेल्डिहाइड से करवाने पर प्राथमिक एल्कोहाॅल बनता है।
Ans. एल्कोहाॅल तथा ईथर आपस में क्रियात्मक समूह समावयवता दर्शाते हैं।
Ans. पिक्रिक अम्ल में तीन इलेक्ट्रॉन आकर्षी -NO2 समूह उपस्थित होने के कारण इसका अम्लीय गुण बढ़ जाता है अतः यह प्रबल अम्ल होता है।
Ans. ईथर को शुष्क करने के लिए सोडियम धातु का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि इसकी ईथर के साथ कोई क्रिया नहीं होती लेकिन सोडियम एथिल एल्कोहाॅल के साथ आसानी से क्रिया कर लेता है, अतः इसे एथिल एल्कोहाॅल को शुष्क करने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
Ans. एल्कोहाॅल में अंतराअणुक हाइड्रोजन बंध होता है लेकिन ईथर में हाइड्रोजन बंध नहीं होने के कारण इसका क्वथनांक समावयवी एल्कोहाॅल की तुलना में कम होता है।
Ans. ईथर में ऑक्सीजन पर दो एकांकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होते हैं, अतः यें लुइस अम्लों के साथ क्रिया करके उपसहसंयोजक बंध बना देते हैं इसलिए ये लुइस क्षार की भाँति व्यवहार करते हैं।
Ans. फिनाॅल कों वायु में खुला छोड़ने पर यह ऑक्सीकृत होकर क्विनोनों का मिश्रण बनाता है जिसके कारण यह गुलाबी हो जाता है।
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