सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 91 |कंपटीशन परीक्षा में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | NEET में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | 11th स्टैंडर्ड के प्रश्न उत्तर | रसायन विज्ञान के संबंधित संपूर्ण प्रश्न उत्तर
सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 91
Ans. साबुन निर्माण की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं
Ans. साबुनों के निर्माण में वसा या तेलों का क्षारीय जल अपघटन कराया जाता है।
Ans. एक मोल वसा या तेल एवं तीन मोल NaOH की क्रिया से एक मोल ग्लिसरीन एवं तीन मोल साबुन प्राप्त होता है, साबुन एवं ग्लिसरीन का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे ‘लाई’ कहते हैं।
Ans. साबुन का अणु दो भागों से मिलकर बना होता है।
Ans. लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला जो अध्रुवीय होती है और कुछ कहलाती है।
Ans. लवण के समान ध्रुवीय शीर्ष जल में विलय होते हैं।
Ans. लंबी श्रृंखला वाले हाइड्रोकार्बन तथा सल्फ्यूरिक अम्ल या सल्फोनिक अम्लों के व्युत्पन्न अपमार्जक कहलाते हैं।
Ans. उपयुक्त प्रकार के अनोखा एक सिरा आयनिक होता है जो सिर या शीर्ष कहलाता है।
Ans. साबुन एवं अपमार्जक दोनों ही एक ही उपयोग में लाए जाते हैं जो अपमार्जक क्रिया कहलाते हैं।
Ans. साबुन दुर्बल अम्ल एवं प्रबल क्षार से मिलकर बने होते हैं।
Ans. अपमार्जक प्रबल अम्ल एवं प्रबल क्षार से मिलकर बने होते हैं।
Ans. साबुन का विलयन क्षारीय प्रकृति का होता है।
Ans. अपमार्जक का विलयन उदासीन प्रकृति का होता है।
Ans. कठोर जल के साथ साबुन का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
Ans. कठोर एवं मृदु जल के साथ अपमार्जक का प्रयोग किया जाता है।
Ans. अपमार्जकों की सहायता से कठोर जल को मृदु बनाया जा सकता है।
Ans. स्नेहकों के साथ अपमार्जक का प्रयोग किया जाता है।
Ans. अपमार्जक तीन प्रकार के होते हैं।
Ans. ऋणायनी अपमार्जक के शीर्ष भाग पर ऋणावेश उपस्थित होता है।
Ans. धनायनी अपमार्जक में अपमार्जक करने वाले आयन धनायन होते हैं।
Ans. धनायनी अपमार्जक में सामान्यतः चतुष्क अमोनियम श्रवण होते हैं।
Ans. अन-आयनिक अपमार्जक अत्याधुनिक अपमार्जक होते हैं।
Ans. वे रसायनिक पदार्थ जो कीट, पतंगों को मारने, भगाने अथवा इच्छित स्थान से हटाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं, कीट प्रतिकर्षी कहलाते हैं।
Ans. वे रसायनिक पदार्थ जो किसी जंतु द्वारा उत्सर्जित होते हैं तथा अन्य जंतुओं के व्यवहार को प्रभावित करते हैं, फीरोमोन कहलाते हैं।
Ans. फीरोमोन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य लैंगिक आकर्षों के रूप में होता है।
Ans. वे रसायनिक पदार्थ जो रॉकेट को आवश्यक ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करते हैं, रॉकेट प्रणोदक कहलाते हैं।
Ans. रॉकेट प्रणोदक ऑक्सीकारक पदार्थ तथा ईंधन का मिश्रण होता है।
Ans. रॉकेट प्रणोदक तीन प्रकार के होते हैं।
Ans. इस प्रकार के प्रणोदक में ईंधन तथा ऑक्सीकारक दोनों ठोस अवस्था में होते हैं।
Ans. ठोस प्रणोदक दो प्रकार के होते हैं।
Ans. सबसे प्रचलित प्रणोदक संयुक्त ठोस प्रणोदक है।
Ans. संयुक्त ठोस प्रणोदक ईंधन, ऑक्सीकारक तथा योगशील पदार्थ से मिलकर बने होते हैं।
Ans. द्वि क्षारीय प्रणोदक मुख्यतः नाइट्रोग्लिसरीन तथा नाइट्रोसैलूलोज से मिलकर बने होते हैं।
Ans. द्रव प्रणोदक में ईंधन तथा ऑक्सीकारक द्रव अवस्था में होते हैं।
Ans. द्रव प्रणोदक दो प्रकार के होते हैं।
Ans. एकल प्रणोदक को जलाने पर अत्यधिक मात्रा में गर्म गैस बनती है।
Ans. द्वि प्रणोदक दो द्रवों का मिश्रण होता है।
Ans. इंधन के रूप में द्वि प्रणोदक का प्रयोग केरोसिन तेल, एल्कोहाॅल, हाइड्रेजीन तथा द्रव हाइड्रोजन तथा ऑक्सीकारक के रूप में द्रव ऑक्सीजन एवं द्रव नाइट्रोजन टेट्राऑक्साइड या नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग होता है।
Ans. रूस के रॉकेट प्रोटॉन में केरोसिन तेल तथा द्रव ऑक्सीजन का मिश्रण प्रयोग किया गया था।
Ans. भारतीय अंतरिक्ष उपग्रह कार्यक्रम के अंतर्गत एस.एल.वी., ए.एस.एल.वी. में संयुक्त ठोस प्रणोदक का प्रयोग किया गया था।
Ans. कार्बन की वलयी संरचनाओं युक्त लंबी श्रृंखला को कार्बन तंतु कहते हैं।
Ans. कार्बन तंतु को कई प्रकार से तथा कई प्रारंभिक पदार्थों जैसे रेयाॅन, पॉलिएक्रेलोनाइट्राइल रेजिन आदि के बहुलीकरण से बनाया जा सकता है।
Ans. यदि कार्बन तंतु को हल्के भार वाले पदार्थों जैसे इपाॅक्सी रेजिन, पॉलिएस्टर रेजिन, पोलीऐमाइड के साथ प्रबलन किया जाता है तो इसे कार्बन तंतु प्रबलन प्लास्टिक कहते हैं।
Ans. जब प्रबलन कार्बन सांचे में किया जाता है तो इसे कार्बन तंतु प्रबलन कार्बन कहते हैं।
Ans. कार्बन तंतु का उपयोग हड्डी की प्लेटों के घटक के रूप में, कृत्रिम हृदय लगानें इत्यादि में किया जाता है।
Ans. कोई भी वस्तु जिसका द्रव्यमान होता है तथा जो स्थान देता है द्रव्य कहलाता है।
Ans. द्र व्य दो प्रकार के होते हैं।
Ans. शुद्ध पदार्थ दो प्रकार के होते हैं।
Ans. अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाई 1960 में तय की गई।
Ans. द्रव्यमान, लंबाई तथा समय जैसे मूलभूत भौतिक राशियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक इकाइयां 1960 में तय की गई जिसे अंतर्राष्ट्रीय पद्धति कहा जाता है।
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