सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 88 | कंपटीशन परीक्षा में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | NEET में पूछे जाने वाले सामान्य रसायन विज्ञान के प्रश्न उत्तर | 11th स्टैंडर्ड के प्रश्न उत्तर | रसायन विज्ञान के संबंधित संपूर्ण प्रश्न उत्तर
सामान्य रसायन विज्ञान प्रश्न उत्तर भाग – 88
Ans. घूर्णन कोण का मान पांच कारकों पर निर्भर करता है।
Ans. ध्रुवन घूर्णन क्षमता ध्रुवनमापी द्वारा मापी जाती है।
Ans. किसी वस्तु या यौगिक का वह तल जो उसे दो समान भागों में विभाजित करता है, उसे सममिति तल कहते हैं।
Ans. किसी वस्तु या यौगिक का वह अक्ष जिस पर उसे घुमाने पर वही रूप प्राप्त होता है जो उसके मूल रूप पर अध्यारोपित हो जाता है जबकि यह कौन 360° से कम हो उसे सममिति अक्ष कहते हैं।
Ans. सममिति अक्ष को Cn द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
Ans. यदि अणु कों 360°/n से घुमाया जाए तो प्राप्त विन्यास मूल विन्यास के अनुरूप होता है।
Ans. किसी वस्तु का वह काल्पनिक बिंदु जिस पर से एक सरल रेखा खींचने पर उस बिंदु के दोनों और आमने-सामने स्थित समूह समान दूरी पर पाए जाते हैं उसे सममिति केंद्र कहते हैं।
Ans. एथीन, बेंजीन इत्यादि में सममिति केंद्र उपस्थित होता है।
Ans. वें यौगिक जो अपने दर्पण प्रतिबिंब पर अध्यारोपित नहीं होते उन्हें किरेल कहते हैं तथा इस गुण को किरेलता करते हैं।
Ans. वे वस्तुएँ जो अपने दर्पण प्रतिबिंब पर अध्यारोपित हो जाती है, उन्हें अकिरेल कहते हैं।
Ans. किरेल यौगिक ध्रुवण-घूर्णन होते हैं, ध्रुवण-घूर्णकता प्रदर्शित करने के इस गुण को किरेलिटी कहते हैं।
Ans. लैक्टिक अम्ल में तारांकित कार्बन परमाणुओं असममित होते हैं, जिसे त्रिविमजनक केंद्र कहते हैं।
Ans. लैक्टिक अम्ल का किरेल अणु एवं उसका प्रतिबिंब रूप परस्पर प्रकाशिक समावयवी कहलाता है।
Ans. यदि दोनों कार्बन के समान समूह एक ही दिशा में अभिविन्यास होने पर समपक्ष समावयवी कहलातें हैं
Ans. यदि दोनों कार्बन के समान समूह परस्पर विपरीत दिशा में अभिविन्यास होने पर विपक्ष समावयवी कहलातें हैं।
Ans. ऑक्सिमों में N परमाणु पर -OH समूह कार्बन परमाणु पर H या अन्य छोटे समूह की ओर स्थित हो तो यौगिक को सिन समावयवी कहते हैं।
Ans. समावयवता नाम सर्वप्रथम ब्राजीलियस ने दिया था।
Ans. सरंचनात्मक समावयवता पांच प्रकार के होते हैं।
Ans. त्रिविम समावयवता दो प्रकार के होते हैं।
Ans. विन्यासी समावयवता दो प्रकार के होते हैं।
Ans. एल्डिहाइडों एवं कीटोनों की हाइड्रोक्सिल ऐमीन के साथ क्रिया करवाने पर क्रमशः ऐल्डोक्सिम एवं कीटोक्सिम प्राप्त होता है।
Ans. वे यौगिक जो समतल ध्रुवित प्रकाश के तल घूर्णित कर देते हैं ध्रुवण धूर्णक कहलाते हैं और धूर्णित करने की इस प्रवृत्ति को ध्रुवणधूर्णकता कहते हैं।
Ans. दक्षिण घूर्णन को डेक्सोसेरोटेटरी कहा जाता है।
Ans. वाम घूर्णन को लिवोरोटेटरी कहा जाता है।
Ans. जब दोनों किरेल कार्बनों पर समान समूह एक ही ओर उपस्थित हो तो ऐसे समावयवी ऐरिथ्रो रूप कहते हैं।
Ans. किसी यौगिक के वे प्रकाशित समावयव जो परस्पर दर्पण प्रतिबिंब नहीं हो विवरिम समावयव कहलाते हैं।
Ans. टार्टरिक अम्ल के ऐरिथ्रो रूप को मेसो टार्टरिक अम्ल कहते हैं।
Ans. जब किसी प्रकाशित समावयव का विन्यास किसी ज्ञात विन्यास वाले यौगिकों के आधार पर किया जाए तो उस विन्यास को सापेक्ष विन्यास कहते हैं।
Ans. वे सभी यौगिक जिन्हें हम D-ग्लिसरैल्डिहाइड से प्राप्त कर सकते हैं अथवा जिन यौगिकों को D-ग्लिसरैल्डिहाइड में परिवर्तित कर सकते हैं वे यौगिक D- विन्यास वाले यौगिक कहलाते हैं।
Ans. जिन्हें L-ग्लिसरैल्डिहाइड से अथवा जिनको L-ग्लिसरैल्डिहाइड में रूपांतरित किया जा सके वे L-विन्यास वाले यौगिक कहलाते हैं।
Ans. यदि किसी ध्रुवण घूर्णन यौगिकों ऐसा मिश्रण लिया जाए जिसमें कि 50% भाग दक्षिण ध्रुवण घूर्णन हो तथा शेष 50% भाग वाम ध्रुवण घूर्णन हो तो ऐसा मिश्रण ध्रुवण घूर्णन बन जाता है इस प्रकार के मिश्रण को रेसिमिक मिश्रण कहते हैं।
Ans. आधा भाग शेष आधे भाग द्वारा समायोजित होकर ध्रुवण अघूर्णक बन जाता है यह बाह्म प्रतिकार कहलाता है।
Ans. ऐथेन के दो संरूपीय समावयवीं होते हैं।
Ans. किसी भी अणु के विभिन्न संरूपणों को प्रदर्शित करने के लिए दों शैलियां हैं।
Ans. यदि अग्र कार्बन के 3 H-परमाणु पश्च कार्बन के तीन H-परमाणुओं को पूरी तरह से ढक लेते हैं तो ऐसे संरूप ग्रसित संरूप कहलाते हैं।
Ans. यदि अग्र कार्बन के 3 H-परमाणु के बिल्कुल मध्यवर्ती क्षेत्रों में पक्ष कार्बन के H-परमाणु दिखाई देते हैं तो यह आंतरिक संरूप कहलाते हैं।
Ans. 6 परमाणु वलय के लंबवत्, एकांतर क्रम में तीन ऊपर एवं तीन नीचे की ओर अभिविन्यासित होते हैं, जो अक्षीय हाइड्रोजन कहलाते हैं।
Ans. रसायनों के चिकित्सकीय उपयोग को रसायन चिकित्सा कहते हैं।
Ans. व्यसन जो पीड़ा याद दर्द को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं पीड़ा हारी या दर्द निवारक औषध कहलाते हैं।
Ans. पीड़ा हारी औषधि में ज्वरनाशी लक्षण पाए जाते हैं।
Ans. तीव्रता व असहनीय दर्द होने पर ऐसी पीड़ाहारी औषधियां का उपयोग किया जाता है जो निंद्रा व अचेतना उत्पन्न करती है, इन्हें स्वापक पीड़ाहारी कहते हैं।
Ans. वे रसायन जिनका उपयोग मानसिक रोगों के निदान व उपचार में किया जाता है, प्रशांतक कहलाता है।
Ans. प्रशांतक तंत्रिका सक्रिय औषधि है।
Ans. प्रशांतक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव डालते हैं।
Ans. बार्बिट्यूरिक अम्ल के व्युत्पन्न प्रशांतक के रूप में काम लिए जाते हैं।
Ans. बार्बिट्यूरिक के प्रयोग से नींद आती है।
Ans. वे रसायन जो सूक्ष्मजीवों जैसे बैक्टीरिया, वायरस, कवक आदि की वृद्धि को रोकते हैं या इन्हें नष्ट करते हैं, प्रतिसूक्ष्मजीवी कहलाते हैं।
Ans. सूक्ष्मजीवों को सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखा जा सकता है।
Ans. ऐसे औषधि के उपयोग द्वारा जो शरीर में उपस्थित सूक्ष्मजीवों को मार देती है यह औषधियां जीवाणुनाशी कहलाती है।
Ans. ऐसी औषधि के उपयोग द्वारा जो सूक्ष्मजीवों की वृद्धि को रोकती है यह औषधियां जीवाणुरोधी कहलाती है।
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