दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश के gk part 3 . चोल काल में शालाभोग भूमियो किसे कहा जाता था? चोल काल में देवदान भूमि किसे कहा जाता था? सुल्तान महमूद किस चोल राजा के समकालीन था? राजेंद्र प्रथम का उतराधिकारी कौन था?
दक्षिण भारत के प्रमुख राजवंश के gk part 3
Ans चोल काल में शालाभोग भूमि किसी विद्यालय की रख रखाव की भूमि को कहा जाता था.
Ans चोल काल में देवदान भूमि मंदिर को उपहार में दी गई भूमि को कहा जाता था.
Ans चोल काल में पल्लिच्चंदम भूमि जैन संस्थानों को दान में दी गई भूमि को कहा जाता था.
Ans सुल्तान महमूद राजेंद्र प्रथम के समकालीन था.
Ans राजेंद्र प्रथम का उतराधिकारी राजेंद्र द्वितीय था.
Ans राजेंद्र द्वितीय ने प्रकेसरी व राजकेसरी की उपाधि धारण की थी.
Ans राजेंद्र द्वितीय का उतराधिकारी राजेंद्र तृतीय था.
Ans चोल वंश का अंतिम शासक राजेंद्र तृतीय था.
Ans चोलों व पश्चिमी चालुक्यों में शांति स्थापित करने की भूमिका जयकेस प्रथम ने निभायी थी.
Ans चोल प्रशासन में भाग लेने वाले उच्च पदाधिकारियों को पेरुन्दरम कहा जाता था.
Ans चोल प्रशासन में भाग लेने वाले निम्न पदाधिकारियों को शेरुन्दरम कहा जाता था.
Ans लेखों में उच्च अधिकारीयों को उदन्कूतम कहा जाता था.
Ans उदन्कूतम का अर्थ सदा राजा के पास रहने वाला था.
Ans सम्पूर्ण चोल राज्य 6 मंडलों में विभक्त था.
Ans मंडल कोट्टम में विभक्त था.
Ans कोट्टम नाडू में विभक्त था.
Ans नाडू कुर्र्मों में विभक्त था.
Ans नाडू की स्थानीय सभा को नाटुर कहा जाता था.
Ans नगर की स्थानीय सभा को नगरतार कहा जाता था.
Ans चोल प्रशासन की मुख्य विशेषता स्थानीय स्वशासन था.